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दुःखभोग और क्रूस-मृत्यु की पहिली भविष्यवाणी

(मारक 8:3; 9:1)

21 मसीह येशु ने उन्हें कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि वे यह किसी से न कहें.

22 आगे मसीह येशु ने प्रकट किया, “यह अवश्य है कि मनुष्य के पुत्र अनेक पीड़ाएं सहे, यहूदी प्रधानों, प्रधान पुरोहितों तथा व्यवस्था के शिक्षकों के द्वारा अस्वीकृत किया जाए; उसका वध किया जाए तथा तीसरे दिन उसे दोबारा जीवित किया जाए.”

23 तब मसीह येशु ने उन सब से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे होना चाहे, वह अपने अहम का त्याग कर प्रतिदिन अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे चले. 24 क्योंकि जो कोई अपने जीवन को सुरक्षित रखना चाहता है, उसे खो देगा किन्तु जो कोई मेरे हित में अपने प्राणों को त्यागने के लिए तत्पर है, वह अपने प्राणों को सुरक्षित रखेगा. 25 क्या लाभ है यदि कोई व्यक्ति सारे संसार पर अधिकार तो प्राप्त कर ले किन्तु स्वयं को खो दे या उसका जीवन ले लिया जाए? 26 क्योंकि जो कोई मुझसे और मेरी शिक्षा से लज्जित होता है, मनुष्य का पुत्र भी, जब वह अपनी, अपने पिता की तथा पवित्र दूतों की महिमा में आएगा, उससे लज्जित होगा.

27 “सच तो यह है कि यहाँ कुछ हैं, जो मृत्यु का स्वाद तब तक न चखेंगे जब तक वे परमेश्वर का राज्य देख न लें.”

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