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एक दाई के बिनती

(मरकुस 10:35-45)

20 तब जबदी के बेटामन के दाई ह अपन बेटामन के संग यीसू करा आईस अऊ ओकर आघू म माड़ी टेकके कुछू मांगे लगिस।

21 यीसू ह ओला कहिस, “तेंह का चाहथस?” ओह कहिस, “तेंह हुकूम दे कि तोर राज म मोर ए दूनों बेटामन – एक झन तोर जेवनी कोति अऊ दूसर ह तोर डेरी कोति बईठे।”

22 यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन नइं जानत हव कि तुमन का मांगत हवव। जऊन कटोरा म ले मेंह पीवइया हवंव, का तुमन ओला पी सकथव?” ओमन कहिन, “हमन पी सकथन।”

23 यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन ह मोर कटोरा ले पी सकथव, पर कोनो ला मोर जेवनी या डेरी कोति बईठे के अनुमती देवई, मोर अधिकार म नइं अय। ए जगह ओमन बर अय, जेमन बर मोर ददा ह एला तियार करे हवय।”

24 जब आने दस चेलामन ए बात ला सुनिन, त ओमन ओ दूनों भाई ऊपर गुस्सा करिन। 25 यीसू ह ओमन ला एक संग अपन करा बलाईस अऊ कहिस, “तुमन जानथव कि आनजातमन के सासकमन ओमन ऊपर परभूता रखथंय अऊ ओमन के बड़े अधिकारीमन ओमन ऊपर अधिकार जताथंय। 26 तुमन के संग अइसने नइं होवय। पर जऊन ह तुमन म बड़े होय चाहथे, ओह तुम्‍हर सेवक बनय, 27 अऊ जऊन ह तुमन म पहिली होय चाहथे, ओह तुम्‍हर गुलाम बनय। 28 मनखे के बेटा ह अपन सेवा करवाय बर नइं आईस, पर एकर खातिर आईस कि ओह आने मन के सेवा करय अऊ बहुंत झन के छुड़ौती बर अपन परान ला देवय।”

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